भगवान श्री चित्रगुप्त जी के मंदिर

भगवान श्री चित्रगुप्त जी के मंदिर

भगवान श्री चित्रगुप्त जी के मंदिर भारतवर्ष में निम्नलिखित स्थानों पर निर्मित हैं -

1.         वाराणसी में दारानगर मुहल्ले में बलदेववख्श के बनवाये हुए पुराने महल में श्री चित्रगुप्त जी का एक मंदिर है। बलदेव बख्श बनारस के राजा के दीवान थे ।

2.         अयोध्या के डेरा बीबी मुहल्ले में सम्राट विक्रमादित्य द्वारा निर्मित ”धर्महरि चित्रगुप्त मंदिर“ है । इसके दक्षिण भागमें भगवान हरि, मध्य में यमराज व वाम भाग में श्री चित्रगुप्त जी विराजमान हैं । कहते है कि श्रीराम सीता विवाहउपरान्त नवदम्पत्ति ने सबसे पहले इसी मंदिर में आकर चित्रगुप्त जी की पूजा की थी ।

3.         गोरखपुर की चित्रगुप्त सभा ने श्री चित्रगुप्त जी का नवीनतम मंदिर बनवाया है । 1965 ई. में श्री बृजमोहन सहायने अपने पिता श्री विष्णुमोहन सहाय के संकल्प पर इसका निर्माण कराया । यह राजकीय जुबली इंटर कालेज केसामने है ।

4.         झांसी में श्री चित्रगुप्त जी का एक पुरातन मंदिर झांसी के वर्तमान रेलवे जंक्शन की जगह परथा । झांसी राज्यके पतन के उपरानत तत्कालीन सरकार ने झांसी रेलवे के निर्माण हेतु उस स्थान पर अधिकार कर मंदिर के लियेमुआवजे के रूप में वर्तमान पानीवाली धर्मशाला, गणेश बाजार के निकट कुछ भूमि दी । बाद में उस मंदिर के प्रांगणमें एक हाल पूजा-अर्चना तथा सांस्कृतिक व सामाजिक कार्यों के लिए बनवाया गया ।

5.         श्री चित्रगुप्त जी का प्राचीनतम मंदिर खजुराहो में कन्दरिया महादेव के मंदिरों की श्रृंखला में है । यह भारतीयशिल्पकला का अनूठा उदाहरण है । यह मंदिर 75 फीट 9 इंच ऊॅंचा तथा 51 फीट 9 इंच चैड़ा है । प्रतिमा भगवानसूर्यदेव की है पर कहलाता चित्रगुप्त मंदिर है ।

6.         मांडवगढ़ (1305 ई.) चित्रगुप्त जी के एक मंदिर का उल्लेख इतिहासकार श्री वाकणकर ने किया है ।

7.         अवन्तिका-उज्जेैन री चित्रगुप्त जी की तपोभूमि के रूप में चिरकाल से प्रसिद्ध हैं । कर्क रेखा पर स्थित श्रीमहाकालेश्वर मंदिर के निकट अंकापाल उज्जयिनी में कायथा नामक ग्राम में श्री चित्रगुप्त जी का एक महत्वपूर्णमंदिर है जिसका जीर्णोद्धार 1994 में हुआ । यहाॅं के लिए यह प्रचलित है कि इसके चबूतरे पर श्री चित्रगुप्त जीने यज्ञ किया था । यहाॅं काले पत्थर की चि़त्रगुप्त जी की मूर्ति के साथ उनकी दोनों पत्नियाॅं व बारह पुत्रों की भीमूर्ति है । यहाॅं कार्तिक शुक्ल द्वितीया को जनमेला लगता है ।

8.         मगध की धरती पर जहानाबाद नगर के वरथा-यमुना संगम पर पश्चिम स्थित बड़ी ठाकुरवाड़ी के दक्षिण छोरपर श्री आदि चित्रगुप्त मंदिर की स्थापना 1902 में श्री शिवनारायण वर्मा की अध्यक्षता में हुई थी । यहाॅं कालेसंगमरमर की मूर्ति थी जो 1976 की बाढ़ के उपरान्त श्री मायाशंकर प्रसाद समिति ने 1986 में पुनः स्थापित की ।इसके प्रांगण में डाॅ. राजेन्द्रपसाद कक्ष के नाम से चित्रांश पुस्तकालय भी है ।

9.         पटना के पूर्वी छोर पर दीवान मुहल्ला में नौजरघाट में गंगातट पर 400 वर्ष पुराना चित्रगुप्त जी का मंदिर है जिसेमहाराजा सिताबराय के नाती श्री भूपनारायण सिंह ने बनवाया था । इसका जीर्णोद्वार श्रीराय मातादीन ने करवायाव श्री मथुराप्रसाद जी ने इसमें कार्तिक शुक्ल त्रयोदशी सं. 2019 को भगवान चित्रगुप्त जी की श्वेत स्फटिक कीभव्य मूर्ति स्थापित की । डा.ॅ राजेन्द्रप्रसाद व श्री कृष्णबल्लभ सहाय बिहार के मुख्यमंत्री इससे जुड़े थे ।

10.       रायपुर शहर में भी 2 सार्वजनिक चित्रगुप्त मंदिर हैं एक तेली बांध में पुराना मंदिर तथा दूसरा टाटीबांध में है। नवीनतम मंदिर टाटीबांध मंदिर री अरूणकुमार श्रीवास्तव के अथक परिश्रम के परिणाम स्वरूप उनके सहयोगियोंद्वारा बनवाया गया । जिसमें चित्रगुप्त जी की मूर्ति उनकी दोनों पत्नियों व 12 पुत्रों सहित है ।

11.       देव श्री चित्रगुप्त मन्दिर, कान्चीपुरम दक्षिण भारत के तमिलनाडु प्रान्त के चिंगलपुर जिले में कान्चीपुरम, शैव व वैष्णव मन्दिरों, मस्जिदों, चर्चोंएवं अन्य सम्प्रदायों के देव स्थानों के लिए विश्व प्रसिद्ध नगर हैं । इसके दक्षिण में भाड़ा स्ट्रीट (नेल्लुका स्ट्रीट) मेंरामकृष्ण मठ पूर्वी दिशा में प्रसिद्ध देव श्री चित्रगुप्त मन्दिर हैं । इसका निर्माण ग्रेनाइट पत्थर से चोलवंशी राजा चैन्यचोल के मंत्री तुलावार मण्डवम् कनकराय करणीकर के समय में हुआ । मन्दिर का जीर्णोद्धार सन् 1911 में चित्रांशसुन्दरमूर्ति पिल्लई व अन्य करनाम ट्रस्टी के सहायोग से हुआ । मन्दिर के सामने पूर्वी ओर विध्नेश्वर (गणपति) वपश्चिम की ओर वडलूर रामलिंगम स्वामी की संगमरमर की मूर्ति है । मन्दिर के प्रांगण में नवग्रह सन्धि केतुु स्थितहैं जिनके आदि देवता श्री चित्रगुप्त स्वामी हैं । शास्त्रों की मान्यतानुसार श्री चित्रगुप्त भगवान की पूजा, अर्चना सेकेतु दोष प्रभावहीन हो जाता है, भक्तों के दुःख दरिद्रता व कष्ट का नाश हो परिवार में सुख शान्ति व समृद्धि प्राप्तहोती है । काॅंचीपुरम के शंकराचार्य के मतानुसार मोक्ष प्राप्ति हेतु भक्तों को श्री चित्रगुप्त भगवान की आराधना नियमितकरनी चाहिए । सभी मतावलम्बियों द्वारा इनकी पूजा की जाती है ।

12.       श्री चित्रगुप्त मंदिर नरसिंहगढ़ (राजगढ़) म.प्र.श्री चित्रगुप्त मंदिर का निर्माण सन् 1972 में हुआ । मन्दिर में भगवान चित्रगुप्त की चतुर्मुखी साढ़े तीन फीटऊॅंची खड़ी हुई प्रतिमा स्थापित है । मन्दिर निर्माण में चित्रांश महापरिवार समस्त बन्धुओं का का सहयोग प्राप्त हुआथा ।

13.       श्री चित्रगुप्त  मन्दिर, बड़ौनी, दतिया, म.प्र. भगवान श्री चित्रगुप्तजी का सन् 1975 में निर्मित मन्दिर ग्राम बड़ौनी, दतिया में स्थित है । मन्दिर में भगवानश्री चित्रगुप्त की खड़ी हुई संगमरमर की प्रतिमा प्रतिष्ठित है । मन्दिर निर्माण में चित्रांस स्व0 रामगोपाल वर्मा का प्रमुखयोगदान रहा ।

14.       श्री चित्रगुप्त मन्दिर, होलीपुरा, दतियासन् 1964 में निर्मित मन्दिर में छातरपुर से लाई हुई पीतल की प्रतिमा की स्थापना का कार्य री अच्छेलालश्रीवास्तव एवं उनकी धर्मपत्नी चित्रांशी श्रीमती हरगुंअर श्रीवास्तव के उल्लेखनीय योगदान से संभव हुआ ।

15.       श्री चित्रगुप्त मन्दिर, सिवनी म.प्र. मन्दिर में चित्रगुप्त जी की डेढ़ फुट की संगमरमर की प्रतिमा विद्यमान है । जिसके दाहिनी ओर सरस्वती जीव बाला जी तथा बाईं ओर सूर्यदेव एवं गणेश जी की प्रतिमायें स्थापित हैं । मन्दिर व्यवस्थ आदि पर बहुचर्चित लेखसे स्पष्ट है कि इस मन्दिर में श्री चित्रगुप्त भगवान की स्थापना स. 1954 में हुई । कालान्तर में संवत् 2000 में भगवानका संगमरमर निर्मित धवल सिंहासन तथा फर्श के निर्माण में क्रमशः चित्रांश दीनदयाल सक्सेना एवं चित्रांश रूपसिंहसक्सेना का उल्लेखनीय योगदान रहा ।

16.       श्री चित्रगुप्त मन्दिर, आष्टा, सिहोर-म.प्र.मन्दिर में संगमरमर निर्मित भगवान श्री चित्रगुप्त जी की मूर्ति  24 मई 1985 को स्थापित हुई ।

17.       श्री चित्रगुप्त मन्दिर, लहार, भिन्ड- म.प्र.लहार स्थित भगवान श्री चित्रगुप्त मन्दिर को चित्रांश बिहारीलाल सक्सेना ने बनवाने के पश्चात स्थानीय कायस्थसमाज को हस्तान्तरित कर दिया ।

18.       श्री चित्रगुप्त मन्दिर, लालमाटी, चुंगी चैकी, जबलपुर महर्षि महेश योगी चेतना विज्ञान संस्थान के सहयोग से 12 जून 1981 को भगवान श्री चित्रगुप्त की संगमरमरकी प्रतिमा, जी.सी.एफ. एम्पलाइज कायस्थ सभा द्वारा निर्मित देवालाय में प्रतिष्ठित है ।

19.       श्री साईं चित्रगुप्त धाम, बीना - म.प्र.15 जुलाई 1991 को कायस्थ समाज, बीना के सहयोग से प्राण प्रतिष्ठा हुई ।

20.       श्री चित्रगुप्त मन्दिर, ग्वालियर - म.प्र. हकीम देवी प्रसाद राम प्यारी न्यास मंडल कीर्ति स्थल में चित्रांश कृष्णबिहारी लाल श्रीवास्तव के प्रयासों सेजयपुर में बनी प्रतिमा की प्रतिष्ठा अक्टूबर 1987 में हुई ।

21.       श्री चित्रगुप्त मन्दिर, रोहतक श्री चित्रगुप्त जी महाराज ट्रस्ट के अन्तर्गत संचालित मन्दिर में पूजा अर्चना एवं समारोह आदि सम्पन्न होतेरहते हैं ।

22.       श्री चित्रगुप्त मन्दिर समथर, झांसी, उ.प्र. सन् 1895 में परिस्थितिवश मूर्तियों की प्रतिष्ठा एक दुकान में की गई परन्तु 1942 में मूर्तियाॅं वर्तमान मन्दिरमें लाई गईं ।

23.       श्री चित्रगुप्त मन्दिर गोकुलपुरा, आगरा मन्दिर की स्थापना सन् 1877 में चार महानुभावों शिवप्रसाद सक्सेना, मुन्नूलाल अस्थाना, चिम्मनलाल अस्थानाएवं लक्ष्मणप्रसाद अस्थाना द्वारा मन्दिर के लिए भूमि दान द्वारा शुभारंभ हुआ । श्री चित्रगुप्त जी की मूर्ति की स्थापनाडाऋ पन्नालाल, सी.एस.आई. आई.सी.एस. द्वारा कराई गई थी ।

24.       श्री चित्रगुप्त मन्दिर, बड़ा कुॅंआ किला, रायबरेली मन्दिर का निर्माण चित्रांश ठाकुरप्रसाद ििनगम द्वारा सन् 1857 के गदर से पूर्व कराया गया था । सन् 1904से कार्तिक शुक्ल पक्ष दौज से पूजन समारोह मनाने की परम्परा का शुभारंभ हुआ ।

25.       श्री चित्रगुप्त मन्दिर, ग्राम परैया, नमकसार रायबरेली मन्दिर जायस रेलवे स्टेशन से 10 कि.मी. पूरब दक्षिण की ओर परैया नमकसार में स्थित है । इसका निर्माण1976 में चित्रांशी धनपति देवी धर्मपत्नी हरगोविन्ददयाल श्रीवास्तव ने कराया ।

26.       श्री चित्रगुप्त मन्दिर, ग्राम अकोढ़िया, सलोन, रायबरेली इस मन्दिर में कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया एवं चैत्र पक्ष की दौज पर पूजन समारोह आयोजित होते हैं।

27.       श्री धामगोदा बिहारी, वृन्दावन विख्यात मन्दिर श्री धामगोदा बिहार में जहाॅं देवी, देवताओं, ऋषि, मुनियों एवं महापुरूष्ज्ञों की लगभग 300प्रतिमायें शोभायमान हैं वहीं भगवान श्री चित्रगुप्त जी की भव्य प्रतिमा 20 मार्च 1983 को चित्रांश जगदीश अस्थानाद्वारा प्रतिष्ठापित की गयी ।

28.       श्री चित्रगुप्त मन्दिर रायनपुर, चरखारी चरखारी नरेश श्री जुआर सिंह देव के परामर्श एवं सहयोग से कायस्थ समुदाय द्वारा आर्थिक साधन जुटाकर सम्वत् 1960 विक्रमी को श्री चित्रगुप्त मन्दिर का निर्माण कराया गया ।

29.       श्री चित्रगुप्त मन्दिर कटरा, बाॅंदा मन्दिर में मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा एवं स्थापना 28 मई 1972 को करायी गयी । बाॅंदा में एक अन्य पुराना मन्दिरभी है जिसको चित्रगुप्त मन्दिर, महेश्वरी देवी के रूप से जाना जाता है ।

30.       चित्रगुप्त मन्दिर कानपुर श्री चित्रगुप्त मन्दिर नवाबगंज, कानपुर सन् 1893 में निर्मित इस मन्दिर हेतु उल्लेखनीय योगदान चित्रांशमदनमोहनलाल श्रीवास्तव वकील का रहा । कानपुर का यह सबसे पुराना मन्दिर है ।

31.       श्री चित्रगुप्त मन्दिर पटकापुर, कानपुर इस मन्दिर में मूर्ति की प्रतिष्ठा सन् 1923 में चित्रांश रामप्रसाद जी सिन्हा के बहुमूल्य योगदान से संभव हुई।

32.       श्री चित्रगुप्त मन्दिर गोविन्द नगर कानपुर श्री चित्रगुप्त समिति गोविन्द नगर द्वारा संचालित मन्दिर में चित्रगुप्त भगवान की मूर्ति की स्थापना सन् 1971में चित्रांश डाॅ. नन्दलाल सिन्हा के योगदान से संभव हुई ।

33.       श्री चित्रगुप्त मन्दिर, पहाड़गंज नई दिल्ली

34.       श्री चित्रगुप्त मंदिर, सुहागनगर फिरोजाबाद श्री चित्रांगेश्वर महादेव मंदिर सैक्टर-1, सुहागनगर फिरोजाबाद में समस्त देवों के साथ ही भगवान श्रीचित्रगुप्त जी महाराज की खड़ी हुई प्रतिमा की स्थापना एवं प्राण प्रतिष्ठा सन् 1996-97 में श्री चित्रगुप्त परिषदफिरोजाबाद के सौजन्य से श्री जे.पी.कुलश्रेष्ठ एडवोकेट अध्यक्ष, श्री विश्व विमोहन कुलश्रेष्ठ महासचिव एवं श्रीलालजी बाबू श्रीवास्तव कोषाध्यक्ष तथा श्री रमन प्रकाश सक्सेना, श्री नरेन्द्र कुमार सक्सेना एवं मेजर डा. के.सी.श्रीवास्तव के सहयोग से स्थापित की गई । उक्त मंदिर में प्रति दिन सुबह शाम समस्त समुदायों के द्वारा भगवानश्री चित्रगुप्त जी की आरती एवं स्तुति नित्य प्रति नियमित रूप से की जाती है । मंदिर की व्यवस्था श्री रमन प्रकाशसक्सेना जी के द्वारा की जाती है ।

35.       श्री चित्रगुप्त मन्दिर ताजगंज आगरा हाल में इस मन्दिर का जीर्णोद्धार किया गया है तथा यहाॅं श्री चित्रगुप्त जी की मूर्ति की पुर्नस्थापना कीगई है ।

36.       श्री चित्रगुप्त मन्दिर भोगीपुरा शाहगंज आगरा इस मन्दिर का निर्माण श्रीमती गनेश कंुॅंवरि ने अपने पति बाबू जगजीत सिंह जी कुलश्रेष्ठ जमींदार कीइच्छानुसार कराया था । इस मन्दिर के साथ श्री चित्रगुप्त धर्ममशाला भी स्थित है जो सजातीय बन्धुओं एवं समाजके अन्य कार्यों के लिए है ।

Sources http://abkmup.in/pdf/history7.pdf

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