प्रतिभा कहीं भी हो सकती है

प्रतिभा कहीं भी हो सकती है

एक बार राजा विक्रमादित्य ने महाकवि कालिदास से पूछा आप इतने प्रतिभा सम्पन्न हैं, पर ईश्वर ने आप को सुन्दर गुणों वाला शरीर क्यों नहीं दिया । कालिदास ने कहा इसका उत्तर मैं शाम को दूंगा । घर लौटकर कालिदास ने दो घड़े मंगवाये एक सुंदर नक्काशीदार सोने का और दूसरा साधारण मिट्टी का दोनों घड़ों में उन्होंने पानी भर कर रखवा दिया । सायंकाल कालिदास ने दोनों घड़ों में थोड़ा - थोड़ा पानी लेकर राजा को पिलाया और पूछा महाराज दोनों में अन्तर बताओ। विक्रमादित्य ने पानी पीकर कहा ”मिट्टी के घड़े का पानी सोने के घड़े के पानी की अपेक्षा मीठा और ठंडा है । कालिदास ने कहा महाराज आप के प्रश्न का यही उत्तर है । जिस तरह गुणों में यह मिट्टी का घड़ा सोने के घड़े से श्रेष्ठ है उसी तरह प्रतिभा शरीर की सुंदरता या कुरूपता पर निर्भर नहीं करती । कुरूप शरीर में भी उत्तम प्रतिभा निवास कर सकती है ।

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