KAYASTHA TODAY | NEWS PORTAL FOR KAYATHA COMMUNITY

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क्यों कहते है ‘यमद्वितीया’ ?


  क्यों कहते है ‘यमद्वितीया’ ? KAYASTHA TODAY | News Portal for Kayatha Community KAYASTHA TODAY | NEWS PORTAL FOR KAYATHA COMMUNITY  | In this article, you can see photos & images. Moreover, you can see new wallpapers, pics, images, and pictures for free download. On top of that, you can see other  pictures & photos for download. For more images visit my website and download photos.

 भाईदूज के दिन भाई, बहन के घर का ही खाना खाए। ऐसा करने से भाई की आयुवृद्धि होती है। पहला कौर बहन के हाथ से खाएं। स्कंदपुराण के अनुसार इस दिन जो बहिन के हाथ से भोजन करता है, वह धन एवं उत्तम सम्पदा को प्राप्त होता है। अगर बहन न हो तो मुँहबोली बहिन या मौसी/मामा की पुत्री को बहन मान ले। अगर वह भी न हो तो किसी गाय अथवा नदी को ही बहन बना ले और उसके पास भोजन करे। कहने का आश्रय यह है की यमद्वितीया को कभी भी अपने घर भोजन न करे।kayastha todayआज के दिन बहन अपने भाई की 3 बार आरती जरूर उतारे।कार्तिक शुक्ल द्वितीया को पूर्वकाल में यमुनाजी ने यमराज को अपने घर भोजन कराया था, इसलिए यह ‘यमद्वितीया’ कहलाती है। इसमें बहन के घर भोजन करना पुष्टिवर्धक बताया गया है। अतः बहन को उस दिन वस्त्र और  आभूषण देने चाहिए। उस तिथि को जो बहन के हाथ से इस लोक में भोजन करता है,वह सर्वोत्तम रत्न,धन और धान्य पाता है।     धर्म ग्रंथों के अनुसार, कार्तिक शुक्ल द्वितीया के दिन ही यमुना ने अपने भाई यम को अपने घर बुलाकर सत्कार करके भोजन कराया था। इसीलिए इस त्योहार को यम द्वितीया के नाम से भी जाना जाता है। तब यमराज ने प्रसन्न होकर उसे यह वर दिया था कि जो व्यक्ति इस दिन यमुना में स्नान करके यम का पूजन करेगा, मृत्यु के पश्चात उसे यमलोक में नहीं जाना पड़ेगा। सूर्य की पुत्री यमुना समस्त कष्टों का निवारण करने वाली देवी स्वरूपा है।उनके भाई मृत्यु के देवता यमराज हैं। यम द्वितीया के दिन यमुना नदी में स्नान करने और  यमुना और यमराज की पूजा करने का बड़ा माहात्म्य माना जाता है। इस दिन बहन अपने भाई को तिलक कर उसकी लंबी उम्र के लिए हाथ जोड़कर यमराज से प्रार्थना करती है। स्कंद पुराण में लिखा है कि इस दिन यमराज को प्रसन्न करने से पूजन करने वालों को मनोवांछित फल मिलता है। धन-धान्य, यश एवं दीर्घायु की प्राप्ति होती है।_* भाई की उम्र बढ़ानी है, तो करें यमराज से प्रार्थना. सबसे पहले बहन-भाई दोनों मिलकर यम, चित्रगुप्त और यम के दूतों की पूजा करें तथा सबको अर्घ्य दें।कायस्थ टुडे 
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स्वामी विवेकानन्द जी को जानिए


स्वामी विवेकानन्द जी को जानिए KAYASTHA TODAY | News Portal for Kayatha Community KAYASTHA TODAY | NEWS PORTAL FOR KAYATHA COMMUNITY  | In this article, you can see photos & images. Moreover, you can see new wallpapers, pics, images, and pictures for free download. On top of that, you can see other  pictures & photos for download. For more images visit my website and download photos.

“ मैं उन महापुरुषों का वंशधर हूँ, जिनके चरण कमलों पर प्रत्येक ब्राह्मण यमाय धर्मराजाय चित्रगुप्ताय वै नमः का उच्चारण करते हुए पुष्पांजलि प्रदान करता है और जिनके वंशज विशुद्ध रूप से क्षत्रिय हैं। यदि अपने पुराणों पर विश्वास हो तो, इन समाज सुधारकों को जान लेना चाहिए कि मेरी जाति ने पुराने जमाने में अन्य सेवाओं के अतिरिक्त कई शताब्दियों तक आधे भारत पर शासन किया था। यदि मेरी जाति की गणना छोड़ दी जाये, तो भारत की वर्तमान सभ्यता शेष क्या रहेगा? अकेले बंगाल में ही मेरी जाति में सबसे बड़े कवि, इतिहासवेत्ता, दार्शनिक, लेखक और धर्म प्रचारक हुए हैं। मेरी ही जाति ने वर्तमान समय के सबसे बड़े वैज्ञानिक (जगदीश चन्द्र बसु) से भारतवर्ष को विभूषित किया है। स्मरण करो एक समय था जब आधे से अधिक भारत पर कायस्थों का शासन था। कश्मीर में दुर्लभ बर्धन कायस्थ वंश, काबुल और पंजाब में जयपाल कायस्थ वंश, गुजरात में बल्लभी कायस्थ राजवंश, दक्षिण में चालुक्य कायस्थ राजवंश, उत्तर भारत में देवपाल गौड़ कायस्थ राजवंश तथा मध्य भारत में सातवाहन और परिहार कायस्थ राजवंश सत्ता में रहे हैं। अतः हम सब उन राजवंशों की संतानें हैं। हम केवल बाबू बनने के लिये नहीं, अपितु हिन्दुस्तान पर प्रेम, ज्ञान और शौर्य से परिपूर्ण उस हिन्दू संस्कृति की स्थापना के लिये पैदा हुए हैं। ”—स्वामी विवेकानन्द
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देश विदेश में भगवान श्री चित्रगुप्त जी एवं दवात कलम की पूजा


देश विदेश में भगवान श्री चित्रगुप्त जी एवं दवात कलम की पूजा  KAYASTHA TODAY | News Portal for Kayatha Community KAYASTHA TODAY | NEWS PORTAL FOR KAYATHA COMMUNITY  | In this article, you can see photos & images. Moreover, you can see new wallpapers, pics, images, and pictures for free download. On top of that, you can see other  pictures & photos for download. For more images visit my website and download photos.

 जयपुर, 6 नवम्बर ,( कायस्थ टुडे) । देश विदेश में भाई दूज एवं कलम दवात की पूजन अर्चना धूमधाम से की गई, पूजा अर्चना देर रात तक जारी रहेगी ।  अमेरिका, कनाडा, आस्ट्रेलिया ,राजस्थान, मध्य प्रदेश , उत्तर प्रदेश , दिल्ली, हरियाणा, बिहार, महाराष्ट्र, गुजरात समेत अन्य कई राज्यों में ​भाई दूज के अवसर परकायस्थ समाज के आराध्य देव भगवान श्री चित्रगुप्त जी एंव कलम दवात की पूजा अर्चना धूमधाम से की गई । राजस्थान में जयपुर, भीलवाडा, अजमेर, भरतपुर, अलवर, जोधपुर ,सिरोही, किशनगढ, कोटा, सवाई माधोपुर, पाली, झालावाड, टोंक, सीकर, चूरू, झुंझूनु समेत कई स्थानों पर भगवान चित्रगुप्त जी एवं कलम दवात की पूजा अर्चना की गई ।कायस्थ एकता मंच के महासचिव अरविन्द सक्सैना के अनुसार   कायस्थ सभा प्रताप नगर सोसाइटी के तत्वावधान में हमारे प्रभु श्री चित्रगुप्त भगवान मन्दिर, केशव पार्क के पास, सैक्टर 8 में यम द्वितीया (कलम दवात पूजा) कर दीपक आरंभ हुई । अखिल भारतीय कायस्थ जागृति मंच राष्ट्रीय महासचिव  ललित सक्सेना के अनुसार प्रताप नगर, सागानेर, केशव पार्क के पास भगवान श्री चित्रगुप्त जी के मन्दिर में पूजा कर  दीपक यात्रा का शंखनाद  और शुभारंभ किया गयायह यात्रा अब प्रति वर्ष यम दतिया के दिन निकाली जायेगी ।यह यात्रा  जयपुर स्थित  भगवान श्री चित्रगुप्त जी के  सभी मंदिरों में जाएगी । भगवान श्री चित्रगुप्त जी की पूजा अर्चना करने के बाद कलम प्रसाद के रूप में वितरित की गई ।कायस्थ सभा प्रताप नगर सोसाइटी सागानेर, जयपुर के महासचिव युगल किशोर नेहवारिया के अनुसार कायस्थ सभा प्रताप नगर सोसाइटी सागानेर के तत्वावधान में आज भगवान श्री चित्रगुप्त भगवान पंचामृत स्नान करा कर, भगवान श्री चित्रगुप्त जी को कायस्थ सभा प्रताप नगर सोसाइटी सागानेर के अध्यक्ष  अवध बिहारी माथुर  की ओर से नव वस्त्र धारण करा कर  कायस्थ सभा प्रताप नगर सोसाइटी सागानेर व कायस्थ एकता मंच के महासचिव व सभी समाजबंधुओं ने 21 दिपक से आरती की व जुगल किशोर  माथुर ने भगवान श्री चित्रगुप्त जी की कथा वाचन किया। तत्पश्चात दीप यात्रा जयपुर के अन्य श्री चित्रगुप्त जी मन्दिर में पूजा अर्चना के लिए रवाना हो गई ।भरतपुर में श्री चित्रगुप्त मन्दिर रक्षिणी कायस्थ समिति के तत्वाधान मेंं आज श्री चित्रगुप्त भगवान एवं कलम दवात का पूजन अध्यक्ष सुनील कुमार सक्सेैना की अध्यक्षता में विधि विधान से किया गया ।पूजन में डा उमेश भारतीय, डा रोहित भारतीय, एम बी सक्सैना, नगेन्द्र सक्सैना, धर्मेश्वर दयाल सक्सैना, दिनेश सक्सैना, मुकेश सक्सैना, दुष्यंत सक्सैना, लक्ष्मण सक्सैना, सुनील श्रीवास्तव, हेमंत सक्सैना, अमित सक्सैना, हेमेन्द्र सक्सैना, अशोक माथुर, श्रीमती आशा भटनागर, निशुभम सक्सैना ,गर्मित सक्सैना, सहित काफी संख्या में चित्रांशजन मौजूद रहे । पूजन के बाद प्रसाद वितरण एवं कलम दवात भेट किए गए ।जयपुर के बापू नगर स्थित ज्ञानमन्दिर शाम  5.30 बजे  भगवान श्री चित्रगुप्त जी व कलम दवात पूजन का कार्यक्रम रखा गया है ।सभी समाज बन्दु सादर आमंत्रित हैं ।राष्ट्रवादी विकास पार्टी के प्रदेश महासचिव जनार्दन माथुर के अनुसार यम द्वितीया के मौके पर श्री सर्वेश्वर महादेव एवं भगवान श्री चित्रगुप्त मंदिर ,नगर निगम कार्यालय, शिप्रा पथ के नजदीक मानसरोवर मे सायं 6:00 बजे मारे आराध्य देव भगवान श्री चित्रगुप्त जी का पूजन  पूजन एवं आरती की जायेगी । उन्होने समाजजनों से अनुरोध किया है कि  पूजन में अवश्य पधार कर अपने आराध्य देव के प्रति आदर एवं सम्मान प्रदान कर आराध्य देव का आशीर्वाद प्राप्त करें । मानसरोवर ,एसएफएस एवं नजदीक के समाज बंधुओं से निवेदन है कि कम से कम प्रत्येक परिवार से एक सदस्य या पूरा परिवार कार्यक्रम का सहयोगी बनेभीलवाडा में कायस्थ समाज सेवा समिति की ओर से श्री चित्रगुप्त भगवान पुजा अर्चना एवं कलम दवात् पूजन आज सायंकालं 6 बजे श्री चित्रगुप्त मन्दिर प्रांगण शाम की सब्जी मंडी पर रखा गया है ।भोपाल में यमद्वितीया महोत्सव का आयोजन चित्रगुप्त मंदिर जवाहर चौक टी टी नगर भोपाल में किया जा रहा है। भगवान श्री चित्रगुप्त जी की विशेष पूजा-अर्चना की जाकर उनका विशेष श्राृर श्रंगार किया जाएगा। विधि विधानानुसार हवन पूजन किया जाकर मंदिर में स्थापित देवी-देवताओं की महाआरती की जाएगी। भाई-बहन की पूजा के साथ कलम दवात की पूजन कर पूजायुक्त कलम  प्रसाद के रुप में वितरित किए जाएंगे।परिसर में 101 दीपक प्रज्वलित कर दीप दान किया जाएगा।तत्पश्चात चित्रगुप्त समाज भोपाल द्वारा समाज बन्धुओं का दीपावली मिलन समारोह आयोजित किया जाएगा।  विगत माह अभिभाषक संघ चुनाव में विजयी कायस्थ भाईयों सर्वश्री सुशील श्रीवास्तव ' नन्नी ', दीपेश श्रीवास्तव एवं अभिजीत सक्सेना का सम्मान किया जाएगा।                   सुशील श्रीवास्तव, जी एम जौहरी, वीरेंद्र श्रीवास्तव, डी पी श्रीवास्तव, एम के श्रीवास्तव, वीरेंद्र नारायण श्रीवास्तव, सुशील श्रीवास्तव 'नन्नी', विजय प्रधान, संजीव श्रीवास्तव, राजीव सक्सेना, आशीष श्रीवास्तव, पी डी खरे, नितिन श्रीवास्तव, सुधीर सिन्हा, अभय प्रधान, दिनेश निगम, विभा श्रीवास्तव, सुधा जौहरी, अर्चना भटनागर, रजनी श्रीवास्तव, अंजना श्रीवास्तव, अंजू खरे, राजेश श्रीवास्तव, रंजीत खरे, अनुपम श्रीवास्तव " लाली ", सहर्ष श्रीवास्तव, राजेश नारायण श्रीवास्तव नं समाज बंधुओं से अधिक से अधिक संख्या में आने का आग्रह किया है ।
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कायस्थ टुडे की ओर से कलम दवात पूजन की बधाई


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 कायस्थ टुडे की ओर से भाई दूज एवं कलम दवात पूजन की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं योगिता माथुर संपादक
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दिलीप माथुर मुम्बई में सम्मानित


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मुम्बई, 3 नवम्बर (कायस्थ टुडे) । इंटरनेशनल मोटिवेशनल International Motivational डा पवन अग्रवाल ने फूड एंड ड्रग्स कन्ज्यूमर वेलफेयर कमेटी के प्रदेश सचिव और नेशनल कायस्थ एक्शन कमेटी के प्रदेश संयोजक दिलीप माथुर को उल्लेखनीय सेवाओं के लिए एक्सीलेंस अवार्ड से  सम्मानित किया । डा अग्रवाल ने Mumbai मुम्बई में राष्ट्रीय स्तर के आयोजित समारोह में वर्ष 2018 से 2021 में फूड एंड ड्रग्स कन्ज्यूमर वेलफेयर क्षेत्र में किए गये कार्यो के लिए दिलीप माथुर को  सम्मानित किया है ।   डा अग्रवाल ने  पदाधिकारियों एवं गणमान्य नागरिकों की मौजूदगी में दिलीप माथुर को ओपरणा ओढाकर सम्मानित किया । 
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उबटन कर अपना रूप निखारे , क्यों मनाई जाती है रूप चौदस


  उबटन  कर अपना रूप निखारे , क्यों मनाई जाती है रूप चौदस KAYASTHA TODAY | News Portal for Kayatha Community KAYASTHA TODAY | NEWS PORTAL FOR KAYATHA COMMUNITY  | In this article, you can see photos & images. Moreover, you can see new wallpapers, pics, images, and pictures for free download. On top of that, you can see other  pictures & photos for download. For more images visit my website and download photos.

         Roop -Chaudas-Make -your -appearance- by -boiling- why -is -Roop -Chaudas -celebrated-kayasthatoday-jaipurरूप चौदस के दिन तिल का भोजन और तेल मालिश, दन्तधावन, उबटन व स्नान आवश्यक होता है। नरक चतुर्दशी का पूजन अकाल मृत्यु से मुक्ति तथा स्वास्थ्य सुरक्षा के लिए किया जाता है। एक पौराणिक मान्यता के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण ने कार्तिक माह को कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी के दिन नरकासुर का वध करके, देवताओं व ऋषियों को उसके आतंक से मुक्ति दिलवाई थी।रुप चौदस को नर्क चतुर्दशी, नरक चौदस, रूप चतुर्दशी अथवा नरका पूजा के नामों से जाना जाता है। इस दिन कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी पर मृत्यु के देवता यमराज की पूजा का विधान होता है। पंचांग में तिथि मतभेद होने के कारण और तिथि ह्रास होने के कारण कुछ लोग नरक चतुर्दशी 3 नवंबर यानि आज मना रहे हैं। इसे छोटी दीपावली के रुप में मनाया जाता है रूप चौदस के दिन संध्या के पश्चात दीपक जलाए जाते हैं और चारों ओर रोशनी की जाती है। रूप चौदस के दिन तिल का भोजन और तेल मालिश, दन्तधावन, उबटन व स्नान आवश्यक होता है। नरक चतुर्दशी का पूजन अकाल मृत्यु से मुक्ति तथा स्वास्थ्य सुरक्षा के लिए किया जाता है। एक पौराणिक मान्यता के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण ने कार्तिक माह को कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी के दिन नरकासुर का वध करके, देवताओं व ऋषियों को उसके आतंक से मुक्ति दिलवाई थी। रूप चतुर्दशी का यह त्यौहार नरक चौदस या नर्क चतुर्दशी या नर्का पूजा के नाम से भी प्रसिद्ध है। रूप चौदस मनाने के पीछे की कारण हैं। कहते हैं इस दिन तिल के तेल से मालिश करके, स्नान करने से भगवान कृष्ण रूप और सौन्दर्य प्रदान करते हैं। मान्यता है कि रूप चौदस के दिन प्रातःकाल तेल लगाकर अपामार्ग (चिचड़ी) की पत्तियां जल में डालकर स्नान करने से नरक से मुक्ति मिलती है। विधि-विधान से पूजा करने वाले व्यक्ति सभी पापों से मुक्त हो स्वर्ग को प्राप्त करते हैं। शाम को दीपदान की प्रथा है जिसे यमराज के लिए किया जाता है। इसके अतिरिक्त पूरे भारतवर्ष में रूप चतुर्दशी का पर्व यमराज के प्रति दीप प्रज्जवलित कर, यम के प्रति आस्था प्रकट करने के लिए मनाया जाता है, लेकिन बंगाल में मां काली के प्राकट्य दिवस के रूप में भी मनाया जाता है, जिसके कारण इस दिन को काली चौदस कहा जाता है। इस दिन मां काली की आराधना का विशेष महत्व होता है। काली मां के आशीर्वाद से शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने में सफलता मिलती है।
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कायस्थ नहीं करते 24 घंटे के लिए कलम का उपयोग


  कायस्थ नहीं करते 24 घंटे के लिए कलम का उपयोग KAYASTHA TODAY | News Portal for Kayatha Community KAYASTHA TODAY | NEWS PORTAL FOR KAYATHA COMMUNITY  | In this article, you can see photos & images. Moreover, you can see new wallpapers, pics, images, and pictures for free download. On top of that, you can see other  pictures & photos for download. For more images visit my website and download photos.

जब भगवान राम के राजतिलक में निमंत्रण छुट जाने से नाराज भगवान् चित्रगुप्त ने रख दी  थी कलम !!उस समय परेवा काल शुरू हो चुका था ।  परेवा के दिन कायस्थ समाज कलम का प्रयोग नहीं करते हैं  यानी किसी भी तरह का का हिसाब - किताब नही करते है आखिर ऐसा क्यूँ  है ?पूरी दुनिया में कायस्थ समाज के लोग  दीपावली के दिन पूजन के  बाद कलम रख देते है और फिर  यमदुतिया के दिन  कलम- दवात  के पूजन के बाद ही उसे उठाते है । किदंवती के अनुसार जब भगवान् राम दशानन रावण को मार कर अयोध्या लौट रहे थे, तब उनके खडाऊं को राजसिंहासन पर रख कर राज्य चला रहे राजा भरत ने  गुरु वशिष्ठ को भगवान् राम के राज्यतिलक के लिए सभी देवी देवताओं को सन्देश भेजने की  व्यवस्था करने को कहा । गुरु वशिष्ठ ने ये काम अपने शिष्यों को सौंप कर राज्य तिलक की तैयारी शुरू कर दीं ।ऐसे में जब राज्यतिलक में सभी देवीदेवता आ गए तब भगवान् राम ने अपने अनुज भरत से पूछा भगवान चित्रगुप्त नहीं दिखाई दे रहे है इस पर जब खोज बीन हुई तो पता चला की गुरु वशिष्ठ के शिष्यों ने भगवान चित्रगुप्त को निमत्रण पहुंचाया ही नहीं था जिसके चलते भगवान् चित्रगुप्त नहीं आये । इधर भगवान् चित्रगुप्त सब जान  चुके थे और इसे प्रभु राम की महिमा समझ रहे थे । फलस्वरूप उन्होंने गुरु वशिष्ठ की इस भूल को अक्षम्य मानते हुए यमलोक में सभी प्राणियों का लेखा जोखा लिखने वाली कलम को उठा कर किनारे रख दिया Iसभी देवी देवता जैसे ही राजतिलक से लौटे तो पाया की स्वर्ग और नरक के सारे काम रुक गये थे , प्राणियों का का लेखा जोखा ना लिखे जाने के चलते ये तय कर पाना मुश्किल हो रहा था की किसको कहाँ भेजे I तब गुरु वशिष्ठ की इस गलती को समझते हुए भगवान राम ने अयोध्या में चित्रगुप्त जी के मंदिर स्थापित करवाया गया ।महात्मय में इसे धर्म हरि मन्दिर कहा गया । किदवन्ती है कि अयोध्या जाने वाला हर श्रद्वालु धर्म हरि मन्दिर दर्शन करने जाता है , यदि कोई श्रद्वालु धर्म हरि मन्दिर दर्शन नहीं करने जाता है तो उसकी अयोध्या यात्रा को अधूरी माना जाता है kayasthatoday.com   भगवान राम ने बाद में वशिष्ठ जी के साथ जाकर भगवान चित्रगुप्त जी की प्रार्थना की ओर चित्रगुप्त जी से गलती के लिए क्षमा याचना की । जिसके उपरान्त चार पहर 24 घंटे बाद चित्रगुप्त जी ने कलम की पूजा की और फिर से लेखा जोखा का काम शुरू किया । उसी दिन से कायस्थ दीपावली के बाद यमद्वितिया पर कलम दवात की पूजन करने के बाद ही लिखने का काम आरंभ करते है ।जान गये ना क्यों दीपावली के बाद कायस्थ 24 घंटे कलम नहीं उठाते । आप भी रखिये ध्यान ।  कायस्थ टुडे ।
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यम द्वितीया पर कलम दवात की पूजन


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Bopal  भोपाल, 3 नवम्बर (कायस्थ टुडे ) इरावती चित्रगुप्त संस्कृति एवं सामाजिक न्यास के तत्वधान में श्री राम जानकी चित्रगुप्त भगवान मंदिर में  यम द्वितीया के अवसर पर कलम दवात की पूजन एवं भाई दूज का कार्यक्रम दिनांक 6 नवंबर होगा । इस अवसर पर भगवान चित्रगुप्त जी की विशेष पूजा अर्चना एवं हवन किया   जाएगा, तत्पश्चात सभी श्रद्धालुओं को प्रसाद के साथ कलम वितरित की जाएगी । कार्यक्रम में मध्य प्रदेश के चिकित्सा मंत्री विश्वास सारंग ,विधायक पीसी शर्मा मौजूद रहेंगे ।   प्रबंध न्यासी ओपी श्रीवास्तव , राजेश वर्मा अध्यक्ष डॉक्टर  शैलेंद्र निगम उपाध्यक्ष  पंकज कुलश्रेष्ठ महासचिव , आर के गुमास्ता कोषाध्यक्ष , अशोक निगम , आरके श्रीवास्तव , दीप श्रीवास्तव ,डॉ रमेश श्रीवास्तव , सुरेंद्र श्रीवास्तव , अनुराग राय, श्रीमती शोभना श्रीवास्तव ,श्रीमती सरिता श्रीवास्तव ,सहित समस्त सदस्यों से अधिक से अधिक संख्या में उपस्थित होने का अनुरोध किया है ।
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शपथ ग्रहण व दीपावली स्नेह मिलन समारोह 7 नवंबर को


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 Ajmer अजमेर,3 नवम्बर (कायस्थ टुडे) । अखिल भारतीय कायस्थ महासभा अजमेर संभाग की कार्यकारिणी का शपथ ग्रहण व दीपावली स्नेह मिलन 7 नवंबर को अजमेर में आयोजित होगाlऋषि घाटी खोबरा नाथ मंदिर परिसर में होने वाले शपथ ग्रहण व दीपावली स्नेह मिलन समारोह में पार्षद अतीश माथुर ,भारती श्रीवास्तव का सम्मान किया जाएगाl समारोह में राष्ट्रीय  संगठन मंत्री बी के माथुर, गौरीशंकर भटनागर, प्रदेश प्रभारी अनिल माथुर कोलरी व प्रदेश अध्यक्ष गोविंद स्वरूप माथुर मुख्य अतिथि के रुप में शिरकत करेंगे । 
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कृतिका माथुर को पीएचडी की उपाधि


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जयपुर, 2 नवम्बर( कायस्थ टुडे) ।  राजस्थान विश्वविद्यालय के शिक्षा विभाग से कृतिका माथुर धर्मपत्नी  अल्पेश माथुर को इंग्लिश लिटरेचर में पीएचडी की उपाधि प्रदान की है ।  राजस्थान के राज्यपाल महामहिम कलराज मिश्र ने कृतिका माथुर को सुधा मुर्ति के कार्य इंटरफेस वास्तविक और काल्पनिक संसार के मध्य पर विशलेषणात्म अध्धयन पर शोध के लिए पीएचडी की उपाधि प्रदान की ।कृतिका ने  डॉ के.के गोतम के निर्देशन में शोध पूरा किया ।
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शहीद मेजर आलोक माथुर चौराहा


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 जयपुर, 2 नवम्बर (कायस्थ टुडे )। कायस्थ शिरोमणि शहीद मेजर आलोक माथुर के नाम से झोटवाड़ा में कांटा चौराहे का नामकरण किया गया ।शहीद मेजर आलोक माथुर चौराहे पर हाई मास्क लाइट लगाई गई इस शुभ अवसर पर शहीद मेजर आलोक माथुर के पिता आर एस माथुर  सांसद रामचरण बोहरा पार्षद  शेर सिंह धाकड़ चित्रांश समाज  और क्षेत्र के  गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे ।
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डॉ.मनोज भटनागर सम्मानित


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उदयपुर 2 नवंबर, (कायस्थ टुडे ) राजकीय आयुर्वेद औषधालय धानमंडी के चिकित्सा अधिकारी प्रभारी डॉ.मनोज भटनागर को धन्वंतरी जयंती एवं राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस के अवसर पर सम्मानित किया गया । चरक फार्मेसी मुंबई की ओर से औषधालय पर आयोजित भगवान धन्वंतरि पूजा अर्चना समारोह में आयुर्वेद चिकित्सा सेवा क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्यों के लिए डॉ.मनोज भटनागर को स्मृति चिन्ह, श्रीफल ,ऊपरना व मेवाड़ी पाग पहनाकर "आयुर्वेद चिकित्सा सेवा सम्मान " से मैनेजर शैलेश शर्मा, सूरजपोल व्यापार मंडल अध्यक्ष यश देव सिंह, समाजसेवी विनय प्रताप सिंह द्वारा  सम्मानित किया गया ।इस अवसर पर डॉ. भटनागर ने आमजन से दीर्घ स्वास्थ्य जीवन हेतु आयुर्वेद को आत्मसात करने की सलाह दी और " इतिहास के आईने में भगवान धन्वंतरि" विषयक शोध पत्र का वाचन किया।समारोह संयोजक उपभोक्ता अधिकार संगठन के  शिरीष नाथ माथुर ने राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस पर कहा की आयुर्वेद को दैनिक जीवन मैं लाना आवश्यक है  और इसके उपचार का निरंतर इस्तेमाल कर बीमारियों को कम किया जा सकता है ।इस अवसर पर चेंबर ऑफ कॉमर्स के मिश्रीलाल जैन, कंपाउंडर रूपलाल मीणा, लक्ष्मण लाल ने प्रसाद वितरण किया।
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कायस्थ टुडे की ओर से Happy धनतेरस


कायस्थ टुडे की ओर से Happy  धनतेरस KAYASTHA TODAY | News Portal for Kayatha Community KAYASTHA TODAY | NEWS PORTAL FOR KAYATHA COMMUNITY  | In this article, you can see photos & images. Moreover, you can see new wallpapers, pics, images, and pictures for free download. On top of that, you can see other  pictures & photos for download. For more images visit my website and download photos.

 कायस्थ टुडे की ओर से आप सभी को धनतेरस की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनांए योगिता माथुर संपादक
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रितू माथुर का चयन


 रितू माथुर का चयन KAYASTHA TODAY | News Portal for Kayatha Community KAYASTHA TODAY | NEWS PORTAL FOR KAYATHA COMMUNITY  | In this article, you can see photos & images. Moreover, you can see new wallpapers, pics, images, and pictures for free download. On top of that, you can see other  pictures & photos for download. For more images visit my website and download photos.

जयपुर, 30 अक्टूबर,(कायस्थ टुडे) । रितू माथुर को स्टार परफारेमर आफॅ क्वार्टर के लिए चयन किया है ।  रितू माथुर ,जगदीश माथुर(JDA)  की पुत्री है ।
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नेशनल कायस्थ एक्शन कमेटी का सराहनीय कदम


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   Bopal भोपाल, 29 अक्टूबर ,( कायस्थ टुडे )। National Kayastha Action Committee नेशनल कायस्थ एक्शन कमेटी दीपोत्सव पर आर्थिक रूप से कमजोर परिवार के बच्चों के मुख पर मुस्कान लाने के लिए एक बेहतरीन कार्यक्रम आयोजित करेगी ।कमेटी के कार्यक्रम ऊंची उड़ान की मुस्कान" में दीपोत्सव पर आर्थिक रूप से कमजोर परिवार के जरूरतमन्द  लगभग 500 ऐसे बच्चों को जिनके लिए दीपावली समेत सभी दिन एकसमान रहते है उनके चेहरे पर मुस्कान प्रदान करने के लिए विभ्भिन ​बस्तियों में जाकर बच्चों को उपहार दिए जाएंगे ताकि वे भी उल्लासपूर्ण ढंग से दीपावली का त्यैाहार मनाए  ।    प्रदेश संयोजक युवा प्रकोष्ट आशीष श्रीवास्तव एवम जिला संयोजक भोपाल अंजू खरे ने बताया कि  इस ऊंची उड़ान मुस्कान ( उपहार ) के पैकेट में मिढाई के साथ नमकीन ( आलू चिप्स, आलू भुजिया ) , बिस्किट,   और फुलझड़ियां , चक्रियां  ,मोमबत्ती वाले दिये , रंगोली के विभिन्न रंगों के पैकेट्स रहेंगे ।
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भावना श्रीवास्तव की उॅची उडान


 भावना श्रीवास्तव की उॅची उडान KAYASTHA TODAY | News Portal for Kayatha Community KAYASTHA TODAY | NEWS PORTAL FOR KAYATHA COMMUNITY  | In this article, you can see photos & images. Moreover, you can see new wallpapers, pics, images, and pictures for free download. On top of that, you can see other  pictures & photos for download. For more images visit my website and download photos.

जबलपुर, 29 अक्टूबर, (कायस्थ टुडे) ।भारत क्रिकेट नियंत्रण कंट्रोल बोर्ड  बीसीसीआई ने भावना श्रीवास्तव को चैलेंजर ट्राफी में भारत की क्रिकेट सी टीम का कोच नियुक्त किया है ।  अंडर 19 महिला चैलेंजर ट्रॉफी प्रतियोगिता जयपुर में 2 से 7 नवम्बर तक होगी । भावना श्रीवास्तव मध्य प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन की लेवल एक कोच है ।
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सुबोध कांत सहाय , मीडियाकर्मियों को सम्मानित करेंगे


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Jaipur जयपुर, 29 अक्टूबर,( कायस्थ टुडे )।अखिल भारतीय कायस्थ महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष  सुबोध कांत सहाय  कल जयपुर में चित्रांश समाज के media persons मीडियाकर्मियों को सम्मानित करेंगे ।   अखिल भारतीय कायस्थ महासभा की राजस्थान इकाई के अरूण सक्सेना के अनुसार  मध्याहन बारह बजे  मानसरोवर अग्रवाल फार्म स्थित एक होटल में आयोजित होने वाले कार्यक्रम में सहाय कायस्थ समाज के मीडियाकर्मियों को सम्मानित करेंगे ।
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कार्तिक माथुर सीए बने


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 Jaipur जयपुर,  29 अक्टूबर, (कायस्थ टुडे )। जयपुर सांगानेर निवासी कार्तिक माथुर ने सीए फाइनल की परीक्षा उर्तीण की । कार्तिक माथुर, निर्मल माथुर और श्रीमती अनुराधा माथुर के पुत्र है ।सीए फाइल की परीक्षा परिणाम गत महिने घोषित हुआ था ।
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सुबोध कांत सहाय जयपुर आयेंगे


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Jaipur जयपुर, 26 अक्टूबर (कायस्थ टुडे )  । अखिल भारतीय कायस्थ महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष  सुबोध कांत सहाय  29 अक्टूबर को जयपुर आयेंगे ।अखिल भारतीय कायस्थ महासभा राजस्थान के प्रदेश महामंत्री धर्मेन्द्र जौहरी के अनुसार सहाय दो दिन जयपुर में रहेंगे ।
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कलम और हिसाब किताब के देव चित्रगुप्त जी महाराज की पूजा विधि ।


कलम और हिसाब किताब के देव चित्रगुप्त जी महाराज की पूजा विधि । KAYASTHA TODAY | News Portal for Kayatha Community KAYASTHA TODAY | NEWS PORTAL FOR KAYATHA COMMUNITY  | In this article, you can see photos & images. Moreover, you can see new wallpapers, pics, images, and pictures for free download. On top of that, you can see other  pictures & photos for download. For more images visit my website and download photos.

 कलम और हिसाब किताब के देव चित्रगुप्त महाराज की पूजा का दिन है। कलम के आराध्य देव भगवान Lord Chitragupta चित्रगु्प्त की पूजा kayastha कायस्थ परिवार के लोग धूमधाम के साथ करते हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, कायस्थ जाति को उत्पन्न करने वाले भगवान चित्रगुप्त जी का जन्म यम द्वितीया के दिन हुआ। कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को भगवान चित्रगुप्त जी की Worship पूजा की जाती है। हिंदू धर्म में चित्रगुप्तजी की पूजा का विशेष महत्व है। चित्रगुप्त कायस्थों के आराध्य देव हैं। भगवान चित्रगुप्त जी को कलम का देवता माना जाता है। चित्रगुप्त पूजा करने से साहस ,शौर्य, बल और ज्ञान की प्राप्ति होती है।       ज्ञान के देवता हैं भगवान चित्रगुप्त जीभगवान चित्रगुप्त ब्रह्मदेव की संतान हैं। वह ज्ञान के देवता हैं। भगवान चित्रगुप्त जी को यमराज का सहायक देव माना जाता है।यमलोक के राजा यमराज को कमोर्ं के आधार पर जीव को दंड या मुक्ति देने में कोई समस्या न हो, इसलिए चित्रगुप्त भगवान हर व्यक्ति के कमोर्ं का लेखा-जोखा लिखकर, यमदेव के कार्यो में सहायता प्रदान करते हैं। चित्रगुप्तजी का जन्म ब्रह्मदेव के अंश से न होकर संपूर्ण काया से हुआ था इसलिए चित्रगुप्त जी को कायस्थ कहा गया।कलम और बहीखाते की पूजा कायस्थजन पूजा के दिन भगवान चित्रगुप्त जी के साथ ही कलम और बहीखाते की भी पूजा करते हैं। क्योंकि ये दोनों ही भगवान चित्रगुप्त जी को प्रिय हैं। इसके साथ ही अपनी आय-व्यय का ब्योरा और घर परिवार के बच्चों के बारे में पूरी जानकारी लिखकर भगवान चित्रगुप्त जी को अर्पित की जाती है। एक प्लेन पेपर पर अपनी इच्छा लिखकर पूजा के दौरान भगवान चित्रगुप्त जी के चरणों में अर्पित करते हैं। चित्रगुप्त पूजा की रस्में मुख्य रूप से पुरुषों द्वारा निभाई जाती हैं और पूरा परिवार साथ में पूजन करता है।इस दिन परिवार के लोग कलम और दवात का इस्तेमाल नहीं करते।चित्रगुप्त पूजा विधिभाई दूज के दिन स्नानादि के बाद पूर्व दिशा में बैठकर एक चौक बनाएं। वहां पर चित्रगुप्त महाराज की तस्वीर स्थापित कर दें। इसके पश्चात विधिपूर्वक पुष्प, अक्षत्, धूप, मिठाई, फल आदि अर्पित करें। एक नई लेखनी या कलम उनको अवश्य अर्पित करें। कलम-दवात की भी पूजा कर लें। फिर एक कोरे सफेद कागज पर श्री गणेशाय नम: और 11 बार ओम चित्रगुप्ताय नमः लिखें। इसके बाद चित्रगुप्त महाराज से अपने और परिवार के लिए बुद्धि, विद्या और लेखन का अशीर्वाद प्राप्त करें।मंत्रमसीभाजन संयुक्तश्चरसि त्वम् ! महीतले .लेखनी कटिनीहस्त चित्रगुप्त नमोस्तुते ..चित्रगुप्त ! मस्तुभ्यं लेखकाक्षरदायकं .कायस्थजातिमासाद्य चित्रगुप्त ! नामोअस्तुतेचित्रगुप्त भगवान की आरतीश्री विरंचि कुलभूषण, यमपुर के धामी।पुण्य पाप के लेखक, चित्रगुप्त स्वामी॥ सीस मुकुट, कानों में कुण्डल अति सोहे।श्यामवर्ण शशि सा मुख, सबके मन मोहे॥ ; भाल तिलक से भूषित, लोचन सुविशाला।शंख सरीखी गरदन, गले में मणिमाला॥; अर्ध शरीर जनेऊ, लंबी भुजा छाजै।कमल दवात हाथ में, पादुक परा भ्राजे॥ नृप सौदास अनर्थी, था अति बलवाला।आपकी कृपा द्वारा, सुरपुर पग धारा॥भक्ति भाव से यह आरती जो कोई गावे।मनवांछित फल पाकर सद्गति पावे॥शास्त्रों में कहा गया है कि भीष्म पितामह ने भी भगवान चित्रगुप्त जी की पूजा की थी। उनकी पूजा से खुश होकर पितामह को अमर होने का वरदान दिया था। मान्यता है कि उनकी पूजा करने से गरीबी और अशिक्षा दूर होती है।पौराणिक मान्यताओं के अनुसार सृष्टि के रचयिता भगवान बह्मा ने एक बार सूर्य के समान अपने ज्येष्ठ पुत्र को बुलाकर कहा कि वह किसी विशेष प्रयोजन से समाधिस्थ हो रहे हैं और इस दौरान वह यत्नपूर्वक सृष्टि की रक्षा करें। इसके बाद बह्माजी ने 11 हजार वर्ष की समाधि ले ली। जब उनकी समाधि टूटी तो उन्होंने देखा कि उनके सामने एक दिव्य पुरष कलम-दवात लिए खड़ा है।     बह्माजी ने उसका परिचय पूछा तो वह बोला,“मैं आप के शरीर से ही उत्पन्न हुआ हूं। आप मेरा नामकरण करने योग्य हैं और मेरे लिये कोई काम है तो बतायें।''बह्माजी ने हंसकर कहा,“मेरे शरीर से तुम उत्पन्न हुए हो इसलिये'कायस्थ'तुम्हारी संज्ञा है और तुम पृथ्वी पर चित्रगुप्त के नाम से विख्यात होगे।“धर्म-अधर्म पर धर्मराज की यमपुरी में विचार तुम्हारा काम होगा। अपने वर्ण में जो उचित है उसका पालन करने के साथ-साथ तुम संतान उत्पन्न करो। इसके बाद श्री ब्रह्माजी चित्रगुप्त को आशीवार्द देकर अंतध्यार्न हो गये।     चित्रगुप्त जी का विवाह एरावती और सुदक्षणा से हुआ। सुदक्षणा से उन्हें श्रीवास्तव, सूरजध्वज, निगम और कुलश्रेष्ठ नामक चार पुत्र प्राप्त हुये जबकि एरावती से आठ पुत्र रत्न प्राप्त हुये जो पृथ्वी पर माथुर, कर्ण, सक्सेना, गौड़, अस्थाना, अम्बष्ठ, भटनागर और बाल्मीक नाम से विख्यात हुये।     चित्रगुप्त ने अपने पुत्रों को धर्म साधने की शिक्षा दी और कहा कि वे देवताओं का पूजन पितरों का श्राद्ध तथा तर्पण और ब्राह्मणों का पालन यत्न पूर्वक करें। इसके बाद चित्रगुप्त स्वर्ग के लिए प्रस्थान कर गये और यमराज की यमपुरी में मनुष्य के पाप-पुण्य का विवरण तैयार करने का काम करने लगे।लोककथाभारतीय संस्कृति के हर पर्व से जुड़ी कोई न कोई लोककथा अवश्य है, जो प्राचीनकाल से सुनाई जाती रही है। प्राचीन काल में पृथ्वी पर सौराष्ट्र राज्य में सौदास नाम का राजा हुआ करता था। वह बहुत दुराचारी और अधमीर् था। उसने अपने राज्य में घोषणा कर रखी थी कि उसके राज्य में कोई भी दान-धर्म, हवन-तर्पण समेत अन्य धार्मिक कार्य नहीं करेगा। राजा की आज्ञा से वहां के लोग राज्य छोड़कर अन्य जगह चले गये। जो लोग वहां रह गये वे यज्ञ, हवन और तर्पण नहीं करते थे जिससे उसके राज्य में पुण्य का नाश होने लगा।     एक दिन राजा सौदास शिकार करने जंगल में निकला और रास्ता भूल गया। वहां पर उसने कुछ मंत्र सुने। जब वह वहां गया तो उसने देखा कि कुछ लोग भक्तिभाव से किसी की पूजा कर रहे हैं। राजा इस बात को लेकर काफी क्रुद्ध हुआ और उसने कहा.. मैं राजा सौदास हूं। आप लोग मुझे प्रणाम करें। उसकी इस बात का किसी ने कोई उत्तर नहीं दिया और वे अपनी पूजा में मग्न रहे।यह सब देखकर राजा क्रुद्ध हो गया और उसने अपनी तलवार निकाल ली। यह देखकर पूजा में बैठा सबसे छोटा लड़का बोला..राजन आप यह गलत कर रहे हैं। हम लोग अपने इष्टदेव चित्रगुप्त भगवान की पूजा कर रहे है और उनकी पूजा करने से सभी पाप कर्म मिट जाते हैं। यदि आप भी चाहे तो इस पूजा में हमलोगों के साथ शामिल हो जायें या हम लोगों को मार डालें।      राजा उस बालक की बात सुनकर काफी प्रसन्न हुआ और कहा तुझमें काफी साहस है। सौदास ने कहा,“मैं भी चित्रगुप्त की पूजा करना चाहता हूं। कृपया इसके बारे में बतायें।''राजा सौदास की बात सुनकर लोगों ने कहा कि घी से बनी मिठाई, फल, चंदन, दीप, रेशमी वस्त्र, मृदंग और विभिन्न तरह के संगीत यंत्र बजाकर इनकी पूजा की जाती है।इसके बाद वह बालक बोला इसके लिए पूजा का यह मंत्र ...दवात कलम और हाथ में कलम, काठी लेकर पृथ्वी पर घूमने वाले चित्रगुप्त जी आपको नमस्कार है। चित्रगुप्तजी आप कायस्थ जाति में उत्पन्न होकर लेखकों को अक्षर प्रदान करते हैं। आपको बार-बार नमस्कार है।... जिसे आपने लिखने की जीविका दी, उसका पालन करते है इसलिये मुझे भी शांति दीजिए।     राजा सौदास ने इसके बाद उनके बताये नियम का पालन करते हुए श्रद्धापूर्वक पूजा की और पूजा का प्रसाद ग्रहण कर अपने राज्य लौट गया। कुछ समय बाद राजा सौदास की मृत्यु हो गयी। यमदूत जब उसे लेकर यमलोक गये तो यमराज ने चित्रगुप्त से कहा कि यह राजा बड़ा दुराचारी था इसकी क्या सजा है। इस पर चित्रगुप्त ने हंस कर कहा,“मैं जानता हूं। यह राजा दुराचारी है और इसने कई पापकर्म किये हैं लेकिन इसने मेरी पूजा की है इसलिये मैं इस पर प्रसन्न हूं। अत: आप इसे स्वर्गलोक जाने की आज्ञा दें। और इसके बाद यम की आज्ञा से राजा स्वर्ग चला गया। चित्रगुप्त से हुई है कायस्थों की उत्पत्तिचित्रगुप्त का त्योहार कायस्थ समाज की सबसे बड़ी पूजा मानी जाती है।  कायस्थों की उत्पत्ति चूंकि चित्रगुप्त से हुई है अत: उनके लिए यह पूजन विशेष रूप से अनिवार्य है। यह पूजन बल, बुद्धि, साहस, शौर्य के लिए अहम माना जाता है। कई पुराणों ग्रंथों में इस पूजन के बगैर कोई भी पूजा अधूरी मानी जाती है।अच्छे बुरे का हिसाब रखते हैं चित्रगुप्तमान्यताओं के मुताबिक ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना के साथ चित्रगुप्त महाराज को भी उत्पन्न किया था। ताकि इस संसार के सभी जीव मात्र का हिसाब किताब रखा जा सके। उसके अच्छे और बुरे कार्यों के हिसाब से ही संसार का संचालन करने का निर्णय लिया गया। ब्रह्मा जी की काया से उत्पन्न होने के कारण ही उनको कायस्थ भी कहते हैं। चित्रगुप्त का विवाह सूर्य पुत्री यमी से हुआ था। इसलिए उन्हें यमराज का बहनोई कहा जाता है। यमराज और यमी सूर्य की जुड़वा संतान हैं। यमी बाद में यमुना हो गईं और धरती पर चली गईं।चित्रगुप्त के ब्रह्मलिपि का प्रयोग कब किया गया?ब्रह्मलिपि का अविष्कार चित्रगुप्त ने ही किया था। और इसका सर्वप्रथम प्रयोग वेद व्यास के द्वारा सरस्वती नदी के तट पर उनके आश्रम में वेदों के संकलन के दौरान किया गया था। वेद के उप निषाद, अरण्यक ब्राह्मण ग्रंथों तथा पुराणों का संकलन कर उन्हे लिपि प्रदान किया गया। विद्वान ब्राह्मणों के मुताबिक चित्रगुप्त पूजन यम द्वितीया को किया जाता है यह किसी एक जाति का पूजन नहीं बल्कि कलम से जुड़े सभी लोगों के लिये श्रेष्ठ माना गया है।चित्रगुप्त ने ही बनाई थी पहली लिपिमाना जाता है कि भगवान श्री चित्रगुप्त के पहले भाषा की कोई भी लिपि मौजूद नहीं थी। चित्रगुप्त ने माँ सरस्वती से विचार विमर्श के बाद लिपि का निर्माण किया और अपने पूज्य पिता के नाम पर उसका नाम ब्राह्मी लिपि रखा। ब्रह्मा जी के सत्रहवें और आखिरी मानस संतान थे चित्रगुुप्तचित्रगुप्त ब्रह्मा के पुत्र हैं। वे ब्रह्मा के सत्रहवें और आखिरी मानस पुत्र हैं। कथा है कि ब्रह्मा ने चित्रगुप्त को भगवती की तपस्या कर आर्शीवाद पाने की सलाह दी। तपस्या पूर्ण होने पर खुश होकर सभी देवताओं व ऋषियों के साथ ब्रह्मा जी  उनके पास पहुंचे औरआर्शीवाद के रूप में अमर होने का वरदान दिया। चित्रगुप्त का विवाह क्षत्रिय वर्ण के विश्वभान के पुत्र श्राद्ध देव मुनि की कन्या नंदिनी से हुआ। दूसरा विवाह ब्राह्मण वर्ण के कश्यप ऋषि के पोते सुषर्मा की पुत्री इरावती से हुआ। मान्यता है कि चित्रगुप्त भगवान यम राज के साथ रहकर इंसान के जीवन मरण और पाप पुण्य का लेखा जोखा रखते है यम द्वितीया पर्व पर कलम दवात की पूजा होती है। दिवाली बाद बिना कलम पूजन के कोई कायस्थ कलम का प्रयोग नहीं करता। यह कायस्थों की सबसे बड़ी पूजा होती है।कागज पर लिख कर चित्रगुप्त महाराज के पास रखेंपूजा विधि के अंतर्गत ही ये मान्यता है कि चित्रगुप्त पूजा के दिन एक सफेद कागज पर श्री गणेशाय नम: और 11 बार ओम चित्रगुप्ताय नमः लिखकर पूजन स्थल के पास रख दिया जाता है। आप भगवान से बुद्धि, विद्या और लेखन का अशीर्वाद मांग सकते हैं।चित्रगुप्त महाराज कौन हैं?मान्यताएं कहती हैं कि ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना के साथ चित्रगुप्त जी महाराज को भी उत्पन्न किया था। ताकि इस संसार के सभी जीव मात्र का हिसाब किताब रखा जा सके। उसके अच्छे और बुरे कार्यों के हिसाब से ही संसार का संचालन करने का निर्णय लिया गया। ब्रह्मा जी की काया से उत्पन्न होने के कारण ही उनको कायस्थ भी कहते हैं। चित्रगुप्त जी का विवाह सूर्य पुत्री यमी से हुआ था। इसलिए उन्हें यमराज का बहनोई कहा जाता है। यमराज और यमी सूर्य की जुड़वा संतान हैं। यमी बाद में यमुना हो गईं और धरती पर चली गईं।
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डॉ आदित्य नाग राष्ट्रीय सचिव मनोनीत


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 जयपुर , 25 अक्टूबर कायस्थ टुडे ।डॉ आदित्य नाग को ग्लोबल कायस्थ कांफ्रेंस का राष्ट्रीय सचिव मनोनीत किया गया हे  l अनेक चित्रांश संगठनों में पदाधिकारी जयपुर निवासी डॉ आदित्य नाग शिक्षा तथा होटल व्यवसाय से जुड़े हैं ।
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कायस्थों की बगीची में प्रांतीय अधिवेशन


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 Jaipur जयपुर, 26 अक्टूबर,( कायस्थ टुडे)  । All India Kayastha Mahasabhaअखिल भारतीय कायस्थ महासभा द्वारा आगामी 18 दिसंबर  को राजस्थान प्रदेश का प्रांतीय अधिवेशन कायस्थों की बगीची में आयोजित किया जाएगा । प्रदेश अध्यक्ष गोविंद स्वरूप माथुर राष्ट्रीय  संगठन मंत्री  बी के माथुर, प्रदेश महिला प्रकोष्ठ की वरिष्ठ उपाध्यक्ष प्रेमलता श्रीवास्तव , प्रदेश महिला उपाध्यक्ष सोनल माथुर, जयपुर संभाग अध्यक्ष सुरेंद्र कुमार माथुर, जयपुर जिला अध्यक्ष राधा मोहन राजोरिया, जयपुर जिला महामंत्री सुशील माथुर,जयपुर जिला युवा अध्यक्ष आशीष माथुर, जयपुर जिला युवा महामंत्री आदित्य राय माथुर,  उपस्थित रहे । बैठक में बगीची में अधिवेशन के प्रोग्राम की रुपरेखा बनाई गई ।
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चिटटी ना कोई सन्देश , ना जाने कौन से गये परदेश ..........


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 किशनगढ  kishangarh , 25 अक्टूबर (कायस्थ टुडे )। आज से ठीक बीस साल पहले पूज्यनीय बाउजी श्रेद्वय  जीवन लाल जी माथुर अन्तिम महा यात्रा पर प्रस्थान कर गये ।परिवार में दिनभर सब कुछ सामान्य था, शारदीय नवरात्रा की पूजा अर्चना की , शाम को माताजी बेरी स्थित कामेश्वरी माता मन्दिर में दर्शन किए, लौटते समय हनुमानजी के दर्शन कर तख्ते पर आराम से बैठे । अचानक न जाने क्या हुआ , पलभर में सब कुछ बदल गया,दो दशक बीत गये । हर दिन कुछ न कुछ याद आ ही जाते है आखिर थे ही ऐसे की जिन्हे भूल नहीं सकते । तहसील फिर शिक्षा विभाग और फिर उपज मंडी समिति किशनगढ से सेवानिवृत हुए श्रेद्य जीवन लाल जी माथुर राय साहब के नाम से ख्यात रहे । राजकीय महाविद्यालय किशनगढ में लेखाअधिकारी पद पर रहते हुए विद्यार्थियों की फीस का मसला हो या व्याख्याताओं के वेतनमान को लेकर परेशानी हर समस्या का चुटकी में समाधान करने की वजह से पूरे क्षेत्र में राय साहब के नाम से जाने जाते थे ।     एक वो दौर था जब महाविद्यालय में सांस्कृतिक आयोजन शांतिपूर्वक सम्पन्न होना टेडी बात हुआ करती थी बावजूद महाविद्यालय के सभी कर्मचारियों एवं प्राचार्य एवं व्याख्याताओं के सहयोग से निर्बाध सम्पन्न करवाने में माहिर हासिल थी । होली हो या दीपावली या पारिवारिक आयोजन चंग बजाना और गायन में पीछे नहीं रहते ।  बारिश के सीजन में पिकनिक का कार्यक्रम बनाने में सबसे आगे रहा करते थे । अचानक बाउजी के गले में खराश हुुई, जांच हुई तो एक गंभीर बीमारी ने उन्हे जकड लिया । सब कुछ कोशिशे की लेकिन मर्ज बढता गया । अस्पताल में पूछा बेटा क्या बात है , बाउजी से कहा , कुछ नहीं । अगले ही पल बोले मुझे मालु​म है क्या हुआ है ,सब ठीक हो जाएगा । धीरे धीरे मर्ज बढता गया और अचानक बोलते बोलते हमेशा के लिए 25 अक्टूबर 2001को शांत हो गए ।बोलना बहुत चाह रहे थे , लेकिन जुबान जवाब दे गयी और आखों ही आखों में देखते हुए महाप्रयाण की ओर प्रस्थान कर गए , उस मार्ग पर चल दिए ,जहां से आज तक लौटकर वापस कोई नहीं आया है ।अब केवल और केवल यादे ही शेष बची है । बाकी सब कुछ ........सौम्यता उनकी सुगंध थी,आनंद उनका जीवन था।सत्कर्म उनकी शोभा औरपरोपकार उनका कर्तव्य था । ईश्वर आपकी पवित्र आत्मा को शांति प्रदान करे ।   श्रेद्वय बाउजी को परिवारजनों की ओर से श्रद्वाजंलि, शत शत नमन । 
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मन्ना डे साहब को स्वराजंलि


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 जयपुर, 25 अक्टूबर (कायस्थ टुडे)। अग्रवाल फार्म, मानसरोवर माथुर सोसायटी के सदस्यों ने आज जाने माने गायक मन्ना डे को उनके गाने गाकर बीते जमाने के बेहतरीन गानों की दुनिया में खो गये ।  सोसायटी के पदाधिकारी  किरण मोहन माथुर, गोपाल दत्त माथुर,प्रेम शंकर माथुर, विमल किशोर माथुर और चित्रांश समाज के सदाबहार गायक अम्बे नारायण माथुर के निर्देशन में आज अग्रवाल फार्म मानसरोवर सोसायटी के सदस्यों ने मन्ना डे के गाने गाकर याद किया । अम्बे नारायण माथुर, विमल माथुर, रवि माथुर, राजेश माथुर, विनोद ​माथुर, आलोक माथुर, रेखा माथुर? अर्चना माथुर, अतुल माथुर, उदय माथुर सहित अन्य कई सदस्यों ने बेहतरीन प्रस्तुति दी । आ जा सनम मधुर चांदनी में हम, पूछों ना कैसे मैने रात बिताई,ये रात भिगी भिगीये मस्त सहित अन्य गानों की बेहतरीन प्रस्तुति देकर मन्ना डे साहब की याद ताजा कर दी ।
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चौथ माता के दर्शन के लिए 700 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं।


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चौथ का बरवाडा: सवाई माधोपुर राजस्थान , 24 अक्टूबर (कायस्थ टुडे) अगर आप को लगता है कि करवा चौथ से जुड़ा कोई मंदिर नहीं होगा तो आप गलत हैं।  राजस्थान के सवाई माधोपुर जिले के चौथ का बरवाड़ा गांव में स्थित है चौथ माता का एक मंदिर, जिसके नाम पर इस गांव का नाम ही बरवाड़ा से बदल कर चौथ का बरवाड़ा हो गया। ये चौथ माता का सबसे प्राचीन और सबसे अधिक ख्याति प्राप्त मंदिर  माना जाता है। कहते हैं इस मंदिर की स्थापना महाराजा भीमसिंह चौहान ने की थी। चौथ का बरवाड़ा, अरावली पर्वत श्रंखला में बसा हुआ मीणा व गुर्जर बाहुल्य क्षेत्र है। बरवाड़ा का नाम 1451 में चौथ माता के नाम पर चौथ का बरवाड़ा घोषित किया गया था।यहां पर चौथ माता मंदिर के अलावा मीन भगवान का एक भव्य मंदिर और भी है। चौथ माता मंदिर करीब एक हजार फीट ऊंची पहाड़ी पर शहर से करीब 35 किमी दूर है। ये स्थान पर्यटकों के लिए भी आकर्षण का केंद्र प्राकृतिक सौंदर्य मन को मोहने वाला है।  मन्दिर के आसपास में सफेद संगमरमर से बने कई स्मारक हैं। दीवारों और छत पर जटिल शिलालेख के साथ यह मंदिर वास्तुकला की परंपरागत राजपूताना शैली के लक्षणों को प्रकट करता है। मंदिर में वास्तुकला की परंपरागत राजपूताना शैली देखी जा सकती है। यहां तक पहुंचने के लिए करीब 700 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं। देवी की मूर्ति के अलावा, मंदिर परिसर में भगवान गणेश और भैरव की मूर्तियां भी हैं। 1452 में मंदिर का जीर्णोद्घार किया गया था। जबकि मंदिर के रास्ते में बिजली की छतरी और तालाब 1463 में बनवाया गया। बताते हैं महाराजा भीम सिंह पचाला के पास एक गांव से चौथ माता की मूर्ति लाए थे।चौथ का बरवाड़ा बेशक एक छोटा सा इलाका है, जहां शक्तिगिरी पर्वत पर मंदिर बना हुआ है। इसके बावजूद ये श्रद्घालुओं का प्रिय धार्मिक स्थल बना हुआ है। चौथ माता को हिन्दू धर्म की प्रमुख देवी मानी जाती है, जिनके बारे में विश्वास है कि वे स्वयं माता पार्वती का एक रूप हैं। यहां हर महीने की चतुर्थी पर लाखों दर्शनार्थी माता जी के दर्शन हेतु आते हैं। चौथ का बरवाड़ा शहर में हर चतुर्थी को स्त्रियां माता जी के मंदिर में दर्शन करने के बाद व्रत खोलती है एवं सदा सुहागन रहने आशीष प्राप्त करती है। करवा चौथ एवं माही चौथ पर यहां लाखों की तादाद में दर्शनार्थी पहुंचते है। चौथ माता के दर्शनों के लिए स्त्रियों की भीड़ पुरुषों की अपेक्षा अधिक रहती है क्योंकि इस मंदिर को सुहाग के लिए आर्शिवाद प्राप्त करने का सबसे महत्वपूर्ण स्थान माना जाता है।साभार:शिहान राधे गोविंद माथुर निवासी: चोथ का बरवाड़ा ( सवाई माधोपुर)हाल कनाडा 
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